पृथ्वी से वैकुंठ की दूरी
दोस्तो आपके मन में ये सवाल तो जरूर आता होगा कि वैकुण्ठ इस ब्रम्हांड में आखिर किस स्थान पर मौजूद है ?। साथ ही ब्रह्माजी का सत्य लोग, इन्द्र देव का इन्द्र लोग, किस स्थान पर मौजूद हैं ? । अगर आपके मन में भी ये सवाल आते हैं तो इस अध्याय को अंततः ध्यान से जरूर पढ़ना। आज के अध्याय में हम आपको हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथों के प्रमाणों के अनुसार उन सभी लोगों की लोकेशन बताने जा रहे हैं । जानते हैं । प्राचीन ग्रंथों के अनुसार ब्रम्हांड की उत्पति ब्रह्मदेव के जन्म के साथ होती है और जब ब्रह्मदेव की आई की समाप्ति होती है तो इस ब्रम्हांड का विनाश होता है और हर तरफ केवल अंधकार ही बच जाता है । लेकिन इतने बड़े इस ब्रह्माण्ड में ब्रह्मदेव आखिर किस स्थान पर है ?। भगवान विष्णु जी का वैकुण्ठ किस स्थान पर मौजूद है ? । दोस्तो ब्रह्मदेव जिस स्थान पर रहते हैं उसे सत्य लोक कहते हैं और भगवान विष्णु जिस स्थान पर रहते हैं उसे वैकुण्ठ कहा जाता है । विष्णु पुराण में इन स्थानों का वर्णन मिलता है । विष्णु पुराण के अनुसार वैकुण्ठ एक ऐसी जगह जहां पर लाखों सूर्य आकाश में तेज मान है और वहां पर कई सारे ग्रह भी मौजूद हैं । भागवत पुराण के अनुसार वैकुण्ठ का स्थान ध्रुव तारे की ओर है । ध्रुव तारे को वैज्ञानिक भाषा में पोल स्टार कहा जाता है यानि अगर यूनिवर्स में हम इसे खोजें तो यह स्थान है । उड़ीसा माइनर कॉन्स्टिट्यूशन जिसे नक्षत्र कहा जाता है । इस इंस्टॉलेशन में सूर्य से भी लाखों गुना तेज चांद सितारे मौजूद हैं । यह कॉन्स्टिट्यूशन उत्तर की ओर स्थित है । ध्रुव तारे की प्रति से दूरी है 433 प्रकाशवर्ष । अगर हम इसे किलोमीटर के हिसाब से देखें तो यह होता है । 4 पद्म 10 नील 40 खरब किलोमीटर यानी कि फुरकान इटेलियन वन हंड्रेड फोर्ट ट्रिलियन मतलब 4 के आगे 15 ने लगाओ । इतना अंतर होता है ये तो पृथ्वी से दो लोग का अंतर हुआ । दोनों के ऊपर एक करोड़ योजन यानी की 12 करोड़ 29 लाख 53 हजार आठ सौ 100 किलोमीटर के बाद अध्यात्मिक जगत में स्थित है । महार लोग किग्रा । ये महार लोग स्वर्गलोक का एक भाग हैं जहां पर ब्रम्हांड की सदकर्म करने वाली आत्माएं वास करती हैं । पुराण के अनुसार जो लोग सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत करते हैं तथा किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते वे लोग मृत्यु के पश्चात इन ग्रह पर जाते हैं । इन ग्रहों पर जीवन रमणीय होता है । मन को शांति देने वाला प्रकृति का नजारा होता है । यहां पर जाने वाले जीव सेम को पुनर्वास समझते हैं । यहां पर रहने वाले जीव तृप्त रहते हैं और कभी दुखी नहीं होते । अब दूसरा लोग है जहां लोग महार लोग क्यों पैर धोकर नियोजन यानि की 24 करोड़ किलोमीटर के पश्चात आता है जनरलों जनरलों के ग्रह पर जाते हैं पुन्य करने वाले लोग जो स्वयं के स्वार्थ का त्याग कर हमेशा दूसरों की मदद करते हैं । वही लोग जन्म लोक के ग्रह पर जाते हैं । यह स्थान बड़ा ही तेजस्वी होता है यहां पर जाने वाले मनुष्य स्वयं देवताओं का दर्शन कर सकते हैं । स्वर्ग के देवताओं को देखने का भाग्य इन ग्रहों पर जाने वाले लोगों को मिलता है । इसके बाद आता है तपो लोग जन्म लोक के बाद आठ करोड़ योजन यानि 98 करोड़ किलोमीटर के बाद स्थित है तपो लोक स्थान पर जाने के लिए बहुत ही कठिन परीक्षा देनी पड़ती है । यहां पर केवल साधु ऋषि मुनि और संन्यासी ही जा सकते हैं जो जीवन के सभी सुखों का त्याग कर केवल ईश्वर की आराधना और सत्कर्म करते हैं । वही लोग इस स्थान पर जाने की योग्य होते हैं । यह स्थान स्वर्गलोक का सर्वोच्च स्थान माना जाता है । यहां पर जाने वाले लोग स्वयं स्वर्ग के देवताओं से मिल सकते हैं । यहां पर ब्राम्हण की अनेक ऊर्जाओं को नियंत्रित करने वाले देवी देवता रहते हैं । जैसे कि वरूण देव, अग्नि देव, इत्यादि । तब श्लोक के पश्चात आता है सत्य लोक तपो लोक के ऊपर बारकोड योजन यानी कि एक अरब 47 करोड़ 54 लाख 46 हजार 589 किलोमीटर के अंतर पर स्थित है । सत्य लोक जहां पर ब्रह्माजी विराजमान हैं यहां पर जाना किसी भी मनुष्य के लिए संभव नहीं है । केवल महान आत्माएं ही इस स्थान पर जा सकती हैं जिन्होंने जन्म जन्मान्तर में अनेक पुण्य किए हों । महान लोग जंगलों और तपो लोक में रहकर भी जो लोग अंतिम सत्य शूर को पाने की चाह रखते हैं केवल उन्हें ही सत्य लोक में जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है और फिर सत्य लोक के ऊपर 2 करोड़ 62 लाख की वोजनियास्की 32 करोड़ 21 लाख 39 हजार 169 किलोमीटर के अंतर पर स्थित है । वैकुण्ठ लोक जहां पर स्वयं भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजमान रहते हैं ये किसी भी आत्मा का अंतिम स्थान होता है । सारे ब्रम्हांड की आत्माएं इस स्थान पर केन्द्रित होती हैं । इस स्थान पर जाने वाली आत्माएं मोक्ष की प्राप्ति करती हैं । इसे ही अंतिम सत्य कहा जाता है और इसे ही ब्रह्माण्ड का अंत भी कहा जाता है । यहां पर जाने के बाद आत्मा जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त होती है । लेकिन दोस्तो ध्यान में रहे हम फिजिकल विल की बात नहीं करते । ये सभी आकड़े आध्यात्मिक जगत को दर्शाते हैं । अगर हम धरती से वैकुण्ठ की दूरी का अनुमान लगाएं तो यह होता है । 4 पद्म 10 नील 40 खरब 12 करोड़ 29 लाख 53 हजार 8 सौ 100 किलोमीटर प्लस 24 करोड़ 59 लाख 7 हजार 763 किलोमीटर प्लस 18 करोड़ 36 लाख 31 हजार बावन किलोमीटर प्लस एक अरब 47 करोड़ 54 लाख 46 हजार 589 किलोमीटर । प्लस 32 करोड़ किसी लाख 39 हजार 169 किलोमीटर । इन सबका मिलाकर होता है । 4 पद्म 10 नील 40 खरब 3 अरब 15 करोड़ 78 हजार 444 किलोमीटर । यानि आप देख सकते हैं कितना दूर है बैकुण्ठ । हमारी पृथ्वी से अगर हम आज की टेक्नॉलजी के आधार पर यहां से वहां तक जाने की कोशिश करेंगे तो में कितना समय लगेगा इसके बारे में जानते हैं । आज की टेक्नॉलजी के आधार पर हम 39 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में ट्रैवल कर सकते हैं । अगर इसी रफ्तार से मैक्सिको जाएंगे तो हमें 10 अरब बावन करोड़ 30 लाख 85 हजार घंटे लग सकते हैं । मतलब 12 लाख से भी ज्यादा साल लग सकते हैं । इसलिए दोस्तो आज की टेक्नोलॉजी से हम व्याकुल कभी पहुंच ही नहीं सकते । तो दोस्तो यथा धरती से वैकुण्ठ तक का सफर । चिकन आधा से दो हम कभी वैकुण्ठ लोक पहुंची नहीं सकते लेकिन आध्यात्मिक मार्ग से हम वापस क्षणभर में पहुंच सकते हैं । इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करो । स्वयं भगवान ही आपको उस स्थान पर ले जाएंगे । इस अध्याय को पढ़ने के बाद आपको कैसा लगा कृपया हमें बताएँ ।
English Translation
Distance from earth to Vaikuntha
Friends, this question must have come in your mind that Vaikuntha is present in this universe at what place? Also, where are the true people of Brahma, Indra people of Indra Dev, in which place? . If these questions also come to your mind, then definitely read this chapter carefully. In today's chapter, we are going to tell you the location of all those people according to the evidence of ancient scriptures of Hinduism. Know. According to ancient texts, the universe originates with the birth of Brahmadev and when Brahmadev's eye ends, this universe is destroyed and only darkness is left everywhere. But where is Brahmadev in this universe so large? Where is Vaikuntha of Lord Vishnu present? . Friends, the place where Brahmadev resides is called Satya Lok and the place where Lord Vishnu resides is called Vaikuntha. The description of these places is found in the Vishnu Purana. According to Vishnu Purana, Vaikuntha is a place where millions of suns have sharp values in the sky and there are many planets also. According to the Bhagavata Purana, the place of Vaikuntha is towards the Dhruva star. The pole star is called pole star in scientific language, that is, if we find it in the Universe, then it is a place. Orissa Minor Constituency called Nakshatra. In this installation, there are millions of moon stars faster than the Sun. This constitution is located on the north side. The distance per pole star is 433 light years. If we look at it in kilometers, it happens. 4 Padma 10 Nil 40 trillion kilometers, ie, Furqan Italian One Hundred Fort Trillion means 4 next to 15. There is such a difference, it is a difference of two people from the earth. On top of both, one crore plan i.e. 12 crore 29 lakh 53 thousand eight hundred 100 kilometers is located in the spiritual world. Mahar people kg. These Mahars are a part of the paradise where the harmony spirits of the universe dwell. According to the Puran, people who live like normal people and do not treat anyone badly, go to these planets after death. Life on these planets is delightful. There is a view of nature that gives peace to the mind. The creatures visiting here consider the beans to be rehabilitated. The creatures living here remain content and never sad. Now there is another people, where people come after 24 million kilometers of planning i.e. Mahar people after washing their feet, generals go to the planet of generals. The same people visit the planet of birth. This place is very stunning, humans visiting here can see the gods themselves. People visiting these planets get the fortune of seeing the Gods of heaven. After this comes the Tapo people, after the birth of Lok, eight crore plans, that is, located after 98 crore kilometers, to go to Tapo Lok place, a very difficult examination has to be done. Only sages, sages and saints can go here who worship all the pleasures of life and worship God only. The same people are eligible to visit this place. This place is considered the highest place of heaven. People visiting here can meet the gods of heaven themselves. Here the Gods and Goddesses who control many energies of Brahman live. Such as Varuna Dev, Agni Dev, etc. Then comes after Shloka, Satya Lok is located at the top of Tapo Lok at a distance of one billion 47 crore 54 lakh 46 thousand 589 kilometers. It is not possible for any human to go to the place where Satya Lok is sitting. Only great souls can visit this place, who have done many virtues during birth. Great people, who live in the jungles and tapo-lok, only those who want to get to the last Satya Shur only get the privilege of going to Satya Lok and then Wozniaski 32 crore 21 lakh 39 thousand, 2 crore 62 lakh over Satya Lok. Located at a distance of 169 km. Vaikuntha Lok where Lord Vishnu himself resides on Sheshnag is the last place of any soul. The souls of all the universe focus on this place. Souls visiting this place attain salvation. This is called the ultimate truth and it is also called the end of the universe. After visiting here, the soul is freed from the cycle of birth and death. But friends keep in mind, we do not talk about physical will. All these figures represent the spiritual world. This happens if we estimate the distance of Vaikuntha from the earth. 4 Padma 10 Nil 40 trillion 12 crore 29 lakh 53 thousand 8 hundred 100 kilometers plus 24 crore 59 lakh 7 thousand 763 kilometers plus 18 crore 36 lakh 31 thousand fifty two kilometers plus one billion 47 crore 54 lakh 46 thousand 589 kilometers. Plus 32 crore any lakh 39 thousand 169 kilometers. All these are combined. 4 Padma 10 Nil 40 trillion 3 billion 15 crore 78 thousand 444 km. That is, you can see how far Baikuntha is. If we try to go from here to there on the basis of today's technology from our earth, then we know about how long it will take. Based on today's technology, we can travel in space at a speed of 39 thousand kilometers per hour. If we go to Mexico at the same pace, then we may take 10 billion fifty-five million 85 thousand hours. That means it may take more than 12 lakh years. Therefore, friends, we can never be disturbed by today's technology. So friends like the journey from earth to Vaikunth. We can never reach Vaikuntha Lok from Chicken half to two, but we can reach back in a moment by spiritual path. Therefore always do good deeds. God himself will take you to that place. Please tell us how you felt after reading this chapter.
Hare Krishna ❤️
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